महारानी जीराबाई की कोख से जन्मे साहजी भोसले के पुत्र देश धर्म,गाय,ब्राह्मण और नारी के सम्मान की रक्षा करने वाले हिंदुपद पादसाहि के निर्माता,
छत्रपति शिवजी का जन्म शिवनेरी दुर्ग में 16 अप्रैल 1627 ई°में हुआ था| माता जीराबाई, दादैजी कोण्डदेव, समर्थ श्री रमदश एवं संत तुकाराम जैसे महापुरुषों और संतो के संरक्षण में शिवाजी औरंगजेब के लिए एक चुनौती बनकर भारत के मानचित्र पर चमके | वीजापुर के दुर्गो पर विजय,सेनापति अफजल खाँ का वध, शायस्ता खाँ के पराजय, सूरत विजय; शिवाजी के अद्धभुत
संग़ठन-कौशल के ज्वलन्त उदाहरण है| सेनापति मिर्जा राजा जयसिंह के साथ परामर्श के पश्चात औरंगजेब के दरबार में जाना अपने कौशल के बल पर निकल आना, इनके अदभुत साहस और राजनैतिक कौशल का उदाहरण है।
संग़ठन-कौशल के ज्वलन्त उदाहरण है| सेनापति मिर्जा राजा जयसिंह के साथ परामर्श के पश्चात औरंगजेब के दरबार में जाना अपने कौशल के बल पर निकल आना, इनके अदभुत साहस और राजनैतिक कौशल का उदाहरण है।
सन् 1671 ई°में रायगढ़ दुर्ग में महाराज शिवाजी का राज्यभिसेक हुआ। इन अवसर पर पुर्तगाल और फ़्रांसिसी वेक्तियो ने भी भाग लिया था महाराजा शिवाजी को भेट प्रस्तुत की। शिवाजी कभी किसी मस्जिद, कुरान अथवा किसी भी धर्म को मनाने वाली स्त्री को हानि नहीं पहुचाते थे।
कहाजाता है की एक युद्ध में सैनिको ने कल्याण के सूबेदार की पुत्रवधु परम सुन्दरी गौहर बानो को बंदी करके महाराज के प्रमुख पस्तुत किया। महाराजा ने माता के समान उसका आदर किया और सम्मानपूर्वक उसे उसके घर पहुँचाया। अपने सैनिक कि फटकार लगाई की किसी महिला का भविष्य में अपमान न किया जाए।
कहाजाता है की एक युद्ध में सैनिको ने कल्याण के सूबेदार की पुत्रवधु परम सुन्दरी गौहर बानो को बंदी करके महाराज के प्रमुख पस्तुत किया। महाराजा ने माता के समान उसका आदर किया और सम्मानपूर्वक उसे उसके घर पहुँचाया। अपने सैनिक कि फटकार लगाई की किसी महिला का भविष्य में अपमान न किया जाए।
53 वर्ष की आयु में 13 अप्रैल सन् 1680 ई° को रायगढ़ दुर्ग में इस हिन्दूपति ने अपना छोड़ा
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